Manipur Clash : केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने कहा कि कहा कि मणिपुर में हिंसा होनी ही नहीं चाहिए थी और जातीय हिंसा को किसी पार्टी के साथ नहीं जोड़ना चाहिए।
Manipur Clash : केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने लोक सभा में मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के अनुमोदन के लिए प्रस्ताव रखा। प्रस्ताव प्रस्तुत करते हुए अमित शाह ने कहा, उच्च न्यायालय के एक फैसले के कारण मणिपुर के दो समुदायों के बीच आरक्षण संबंधी विवाद के कारण जातीय हिंसा शुरू हुई थी। उन्होंने कहा कि न तो यह दंगे हैं और न ही आतंकवाद है, बल्कि हाई कोर्ट के एक फैसले की व्याख्या के कारण दो समुदायों के बीच जातीय हिंसा है।
Manipur Clash : क्या कहा शाह जी ने
शाह ने कहा कि दिसंबर 2024 से लेकर अबतक पिछले 4 महीनों से मणिपुर में हिंसा नहीं हुई है। शिविरों में पहले से ही खाने-पीने, दवाइयों, चिकित्सा सुविधाओं आदि को सुनिश्चित कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि तकनीकी और मेडिकल शिक्षा की ऑनलाइन व्यवस्था हो चुकी है और प्राइमरी एजुकेशन के लिए कैंपों के अंदर ही वर्ग लगाए गए हैं, जहाँ उनकी पढ़ने की व्यवस्था की गई है।
अमित शाह ने कहा कि कहा कि हिंसा होनी ही नहीं चाहिए और जातीय हिंसा को किसी पार्टी के साथ नहीं जोड़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि विपक्ष द्वारा इस प्रकार की तस्वीर पेश करने का प्रयास किया गया कि हमारे शासन में ही जातीय हिंसा हुई है। उन्होंने सदन को बताया कि मणिपुर में 1993 में जातीय हिंसा हुई, 1993 से 1998 तक नागा-कुकी संघर्ष हुआ, जिसमें 750 मौतें हुईं और छिटपुट घटनाएं एक दशक तक चलती रहीं।
श्री शाह ने कहा कि हम मानते हे कि हमारे समय में ऐसा बिल्कुल नहीं होना चाहिए, लेकिन एक दुर्भाग्यपूर्ण फैसला आया, जिसके कारण हिंसा हुई और उसे तत्काल नियंत्रण में लाया गया।
Manipur Clash : कितनी घटनाये हुई अब तक
शाह ने कहा कि हिंसा में जो 260 मौतें हुई हैं उनमें से 80 प्रतिशत पहले एक महीने के अंदर हुईं जबकि बाकी मौतें बाद के महीनों में हुईं। उन्होंने कहा कि 1997-98 में कुकी-पाइते संघर्ष हुआ, जिसमें 50 से अधिक गांव नष्ट हुए, 40 हज़ार लोग विस्थापित हुए, 352 लोग मारे गए, सैकड़ों घायल हुए और 5 हज़ार घर जलाए गए। उन्होंने कहा कि 1993 में 6 माह तक चले मैतेई-पंगल संघर्ष में 100 से अधिक मृत्यु हुईं थीं।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि विपक्ष इस प्रकार की तस्वीर पेश कर रहा है जैसे मणिपुर में ये पहली हिंसा हो और हमारा शासन विफल हो गया। उन्होंने कहा कि पिछली सरकार के शासन में 1993 के बाद मणिपुर में हुईं तीन बड़ी जातीय हिंसाएं हुई जो 10 साल, 3 साल और 6 माह तक चलीं और इनमें सैकड़ों लोगों की मृत्यु हो गई। उन्होंने कहा कि इन हिंसाओं के बाद तत्कालीन सरकार से प्रधानमंत्री और गृह मंत्री समेत वहां कोई नहीं गया।