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CAPF: अब नहीं दिखेंगे लोहे के ट्रंक, मॉडर्न सूटकेस विद् ट्रॉली संग नजर आएंगे जवान

CAPF JAWAN MODERN SUITCASE WITH TROLLEY : दोनों बलों में फॉलोवर रैंक, सिपाही, हवलदार, एएसआई, एसआई, इंस्पेक्टर/सूबेदार मेजर को जो पांच साल की वारंटी वाला मॉडर्न सूटकेस विद् ट्रॉली, मुहैया कराया जाएगा।

CAPF JAWAN MODERN SUITCASE WITH TROLLEY : केंद्रीय अर्धसैनिक बल ‘सीएपीएफ’ के तहत आने वाले सीआरपीएफ और आईटीबीपी में जवानों को लोहे के भारी भरकम ट्रंक से निजात मिलेगी। अब इन बलों के जवानों को मॉडर्न सूटकेस विद् ट्रॉली मुहैया कराया जाएगा। इस सूटकेस की लाइफ पांच साल तय की गई है। यानी इस अवधि के बाद नया सूटकेस मिलेगा।

हालांकि इन बलों के रिक्रूट यानी नव-आगुंतकों को अभी लोहे का ट्रंक ही प्रदान किया जाएगा। इन बलों में सूटकेस मुहैया कराने की योजना पर पिछले साल से काम चल रहा था। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सूटकेस मुहैया कराने की योजना को मंजूरी दे दी है। बताया जा रहा है कि दूसरे केंद्रीय बलों को भी ऐसे ही सूटकेस मुहैया कराए जाएंगे।

 

CAPF JAWAN MODERN SUITCASE WITH TROLLEY :  सूत्रों के मुताबिक, दोनों बलों में फॉलोवर रैंक, सिपाही, हवलदार, एएसआई, एसआई, इंस्पेक्टर/सूबेदार मेजर को जो पांच साल की वारंटी वाला मॉडर्न सूटकेस विद् ट्रॉली, मुहैया कराया जाएगा, उसे कई तरह से परीक्षणों से गुजारा गया है। इस सूटकेस को खरीदने का प्रपोजल लंबे समय से चल रहा था।

इस दिशा में कई तरह के टेस्ट, जैसे सरफेस हार्डनेस टेस्ट, हैंडल जर्क टेस्ट और स्टेंडिंग पुल हैंडल जर्क टेस्ट आदि किए गए हैं। सीआरपीएफ और बीएसएफ मुख्यालय, योग्य कार्मिकों की संख्या के अनुसार इस मॉडर्न सूटकेस विद् ट्रॉली की खरीद कर सकते हैं।

CAPF JAWAN MODERN SUITCASE WITH TROLLEY :  केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की स्थापना से लेकर अभी तक जवानों को लोहे का ट्रंक मुहैया कराया जाता है। अगर इसके कई फायदे थे तो कुछ नुकसान भी थे। जैसे लोहे का ट्रंक, मजबूत तो रहता है। उसे बस, ट्रेन या ट्रक में जैसे मर्जी रख सकते हैं।

हालांकि यहां पर जवानों को उस वक्त दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, जब उसे छुट्टी आना होता है। उसे वह ट्रंक सार्वजनिक परिवहन में अपने साथ लाने में कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। बस में उसे आसानी से नहीं रखा जा सकता। वजह, वह बहुत अधिक जगह घेरता है।

CAPF JAWAN MODERN SUITCASE WITH TROLLEY :  इसी तरह ट्रेन में भी लोहे के ट्रंक को लेकर दिक्कत आती है। बस स्टैंड या रेलवे स्टेशन से आटो या टैक्सी के द्वारा आना हो तो भी लोहे का ट्रंक का आसानी से फिट नहीं होता। अगर कोई छोटा वाहन है या आटो में उसे रखना हो तो ट्रंक के बाद किसी दूसरे सामान या सवारी के लिए जगह कम ही बचती है।

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CAPF JAWAN MODERN SUITCASE WITH TROLLEY :  इन बलों के जवानों को अब जो मॉडर्न सूटकेस विद् ट्रॉली मुहैया कराया जाएगा, उसकी अपनी कई खूबियां हैं। जैसै, वह लोहे के ट्रंक की तुलना में काफी हल्का है। उसे साथ ले जाना आसान है। वह निजी या सार्वजनिक परिवहन के साधन में एडजस्ट हो सकता है। मॉडर्न सूटकेस की खरीद से पहले सूटकेस का परीक्षण, टेस्टिंग लैब या फैक्ट्री परिसर में कराना अनिवार्य किया गया है। सूटकेस में थ्री प्वाइंट लॉकिंग सिस्टम व एंटी थैफ्ट सिक्योर जिप्पर होने की बात कही गई है।

पॉलीप्रोपाइलीन हार्ड टॉप बॉडी से बने सूटकेस से लंबी दूरी के सफर में दिक्कतें पेश नहीं आती हैं। यह रफ हैंडलिंग वाला सूटकेस है। सफर में इस पर स्क्रेच आदि लगने का भी डर नहीं है। इस पर पहिये लगे होंगे। गत वर्ष जब सूटकेस के परीक्षण की बात हो रही थी तो इसे 22 किलो तक के सामान के साथ पुल हैंडल ट्यूब व सरफेस हार्डनेस टेस्ट आदि से गुजारने का नियम बनाया गया था।

सूटकेस के पहियों का परीक्षण करने के लिए एक ही दिशा में उसे 16 किलोमीटर चलाने का टेस्ट करने की बात कही गई है। इनके अलावा हैंडल जर्क टेस्ट, ड्रॉप टेस्ट और टम्बल टेस्ट भी कराया गया है। ये भी देखा गया है कि टम्बल टेस्ट के दौरान सूटकेस का न तो रंग खराब हुआ हो और न ही क्रेक आया हो।

पुल हैंडल टेस्ट में मल्टी पुश पुल हैंडल साइकिल टेस्ट, हैंगिंग पुल हैंडल जर्क और स्टेंडिंग पुल हैंडल जर्क टेस्ट किया गया है। सूटकेस को 240 घंटे के आर्द्रता कक्ष हार्डवेयर टेस्ट से गुजारा गया है। लॉक ओपन एवं क्लॉज टेस्ट भी हुआ है। साथ ही सूटकेस के लिए ओवन टेस्ट भी रखा गया था। इसमें 120 घंटे तक 65 डिग्री सेल्सियस तापमान पर सूटकेस को रखने की बात कही गई है।

सोर्स – AmarUjala

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