CAPF SUICIDE: अर्धसैनिक बलों में सुसाइड आखिर रुक क्यों नहीं रही है ? मूल कारण और इससे बचने के क्या उपाय हो सकते है ?

CAPF सुसाइड केस:- बलों के जवान में बढ़ते सुसाइड के केस और उनकी परेशानियां, अभी भी समय है?

CAPF सुसाइड ( के एक सवाल के जवाब में) अभी हाल में ही सरकार ने संसद में बताया कि पिछले 5 सालों में 700 से अधिक CAPF के जवानो ने आत्महत्या कर लिया है, जबकि इसी दौरान 55,555 जवानो ने या तो इस्तीफा दे दिया या स्वेक्छिक सेवानिवृति ले लिया, वैसे तो विभाग अपनी Inquiry करती ही है, परन्तु ये सब inquiry के नाम पर बस एक खाना पूर्ति ही होती है, अगर नहीं तो अभी तक इसका निदान निकाल लिया गया होता। CAPF सुसाइड 

CAPF SUICIDE

बढ़ते घटनाक्रम यह बताने के लिए काफी है कि मूल कारण को खोजकर उसका निदान करने कि शायद इच्छाशक्ति ही नहीं है, सभी अपने तत्काल समय को निकालने में लगे है कि उनका समय निकल जाए, समस्या से किसी को कोई लेना देना नहीं है, इसका एक दूसरा पहलु यह भी है कि आत्महत्या करने वाले में अधिकतर लोअर रैंक के जवान ही होते है, जो इस तरफ इशारा करने के लिए काफी है कि बल में Commandership इतना mature तो नहीं है जो प्रॉब्लम को समझे और उसका मुस्तैदी से समाधान करें, तो आइये विस्तार से इस समस्या को समझते है।

सबसे पहले हम CAPF सुसाइड के मूल कारण को समझते है। 

  1. CAPF जवानों की तैनाती ज्यादातर हाई रिस्क जोन जैसे नक्सल प्रभावित इलाके, जम्मू और कश्मीर के चुनौतीपूर्ण जगह पर होती है, लम्बे समय तक पर्याप्त अवकाश के बिना घर से दूर अपने परिवार पत्नी बच्चे से दूर लम्बे समय तक ड्यूटी करना पड़ता है, CAPF जवानो को फैमिली लाइफ शायद मिलता ही नहीं है, कुछ गिने चुने छुट्टी है जिसके भरोसे वो अपनी लाइफ को मैनेज करने की कोशिश करते रहते है।
  2.  इनकी तैनाती काफी तनावपूर्ण होता है, ये अगर हाई रिस्क वाले एरिया में अपनी ड्यूटी कर रहे है तो फिर इन्हे शांति वाले इलाके में जहाँ कम खतरा हो की तैनाती मिलना भी शायद मुश्किल है, जो इनके मानसिक तनाव को बढ़ाने  में अहम् भूमिका निभाता है।  
  3. शांति वाले स्थान का मतलब यह है कि सैनिको को अपेक्षाकृत स्थिर और गैर शत्रुतापूर्ण वाले वातावरण में तैनात करना, न कि संघर्ष वाले जगह पर तैनात करना जहाँ का तनाव हमेशा उच्च लेवल का होता है, अगर किसी जवान को अपेक्षाकृत स्थिर और गैर शत्रुतापूर्ण वाले स्थान पर तैनाती मिल भी जाती है फिर भी इनकी कंपनियां जिसमे ये तैनात होते है वो पुरे देश में घूमती रहती है। 
  4. सुसाइड का एक सबसे बड़ा कारण पारिवारिक अलगाव है, परिवार से लम्बे समय तक दूर रहना, एक भावनात्मक तनाव पैदा करता है, घर की समस्या, एकल पारिवारिक स्थिति के चलते पत्नी और बच्चे को अकेले रहना पड़ता है, जिसमे उनको तरह तरह की समस्या का सामना करना पड़ता है जिससे तैनाती वाले स्थान पर जवान एक अलग लेवल के तनाव से गुजरने लगता है, और फिर वो उस समस्या का अपने मन में एक छवि बनाने लग जाता है जो उसमे तनाव को और अधिक बढ़ा देता है। 
  5. घर से दूर रहने के चलते उनके जमीन पर असामाजिक तत्वों द्वारा कब्ज़ा कर लिया जाता है, जिसे सुलझाने में वो पूरी तरह से नाकामयाब होता है, इसी चक्कर में वो जवान जब भी कुछ दिनों की छुट्टी आता है तो थाना पुलिस के चक्कर काटता है ताकि उसके भूमि विवाद का समाधान हो सके परन्तु वहां से भी उसे कोई सहयोग नहीं मिलता है और इसी घटनाक्रम में उसकी छुट्टी ख़तम हो जाती है और वो वापस ड्यूटी पर उसी समस्या को लेकर लौट जाता है, आत्महत्या से मरने वाले में 80% से अधिक सैनिक की रिपोर्ट तब आई जब वो छुट्टी से वापस लौटे थे, इससे आप उनके मनः स्थिति का अंदाज़ा लगा सकते है।  
  6. सेना के मुकाबले CAPF जवानो को कम करके आँका जाता है, जबकि CAPF में स्थिति बहुत ही भयावह है, यहाँ तक कि एक ही जगह सेना और अर्द्धसेना के जवान ड्यूटी करते है लेकिन दोनों की सुबिधाये में बहुत अधिक अंतर होता है, अर्धसैनिक जवानो की ड्यूटी की कोई समय तय नहीं है, ये 24 घंटे 7 दिनों के लिए तैनात रहते है, इन्हे एक जगह से दूसरे जगह आये दिन पूरी कंपनी के साथ जाना पड़ता है जिससे कि वे मानसिक तौर पर स्थिर नहीं हो पाते है, नतीजा जवान तनाव में रहने लग जाता है।  
  7. साल 2004 के बाद सरकार ने अर्धसैनिक के जवानो कि पुरानी पेंशन बंद कर उसकी जगह पर शेयर मार्किट लिंक्ड नई पेंशन योजना लागू कर दी जिससे जवान अपने भविष्य को लेकर चिंतित रहते है।
  8. राज्य सरकार की अर्धसैनिक बलों पर अधिक निर्भरता का होना भी तनाव का एक अहम् कारण है, जिससे की इनका परिचालन गतिविधि अधिक होती है, 
  9. अकेले CRPF में सुसाइड के केस सबसे अधिक है, साल 2018 में CRPF में आत्महत्या के लगभग 36 मामले दर्ज किये गए, जो साल 2019 में बढ़कर 40 हो गए, साल 2020 में यह संख्या 54 थी जो साल 2021 में यह 57 हो गई, इसी प्रकार से यह आंकड़ा बढ़ता रहता है।
  10. उपरोक्त परेशानियों के होते हुए जो सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण कारण है वो है छुट्टी, जो कि टाइम से और पर्याप्त नहीं मिलती है, जवान को अगर काम है 10 दिनों के अवकाश कि तो डिपार्टमेंट की तरफ से उसे 30 का भेजा जाता है, जिससे से उसका छुट्टी जल्दी ख़त्म हो जाता है, नतीजा जब उसका और कोई काम घर पर आ जाता है तो उसके पास फिर छुट्टी जाने के लिए उपलब्ध नहीं होता है, इससे भी जवान तनाव में चला जाता है।

 

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CAPF/अर्धसैनिक बलों के समस्याओं के समाधान के लिए सरकार द्वारा उठाये गए अब तक के कदम । CAPF सुसाइड रोकने के उपाय। 

साल 2021 में केंद्र सरकार के पहल पर अर्द्धसैनक बलों में आत्महत्या को रोकने के लिए रणनीति बनाने के लिए एक टास्क फाॅर्स का गठन किया था जिसने अपनी रिपोर्ट में 3 प्रमुख बातों पर जोर दिया, जिसमे सेवा शर्ते, कार्य स्थिति और व्यक्तिगत मुद्दे शामिल थी,

अर्द्धसैनक बलों के बिभिन्न संगठन के द्वारा छुट्टी के लिए ऑनलाइन अप्लाई की सुबिधा की व्यवस्था किया गया है ताकि जवान सुबिधाजनक तरीके से अपनी छुट्टी के लिए आवेदन कर सके, 

समय समय पर इन् बलों के द्वारा अपने जवानो के लिए मानसिक स्वास्थ्य सहायता शिविर भी चलाया जाता है ताकि जवान अपने आप को सकारात्मकता से भर सके, इसी कड़ी में CRPF ने “साथी” नामक एक अभियान चलाया है, जिसमे जवान एक दूसरे के मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल करते है, इसी तरह CISF में पर्यवेक्षों के लिए मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के प्रारंभिक लक्षणों की पहचान हेतु ” मानसिक स्वास्थ्य चैंपियनशिप” कार्यक्रम चलाये जाते है, इसप्रकार बिभिन्न बलों द्वारा अपने अपने स्तर पर सरकार के निर्देशानुसार कार्यक्रम चलाये जा रहे है।  

CAPF सुसाइड रोकने के सरकार द्वारा और क्या क्या कदम उठाये जाने चाहिए । 

सरकार द्वारा सुसाइड रोकने के लिए जो भी कदम उठाये जा रहे है वो सब या तो पर्याप्त नहीं है, या वो सब सिर्फ कागज में ही खानापूर्ति की जा रही है, सरकार अगर वास्तव में इस तरह के कदम को रोकने के लिए दृढ संकल्पित है तो उन्हें इस तरह के ठोस कदम उठाये जाने की आवश्यकता है।

  • सबसे पहले जवानो के छुट्टी को Flexible बनाया जाए यानी जो जवान कुल अधिकृत छुट्टी में से जब केवल जितने दिन की मांग करे उतना ही छुट्टी दिया जाए न की जबरदस्ती कम या अधिक छुट्टी भेजा जाए, परिणाम जवान अपने घर के कार्यों को अपने अनुसार मैनेज कर सके।
  • सरकार के यथा शीघ्र अर्द्धसैनक बलों की पुरानी पेंशन जोकि साल 2004 से बंद है को बहाल करना चाहिए ताकि जवान को एक उम्मीद नज़र आये कि अगर उसके घर पर किसी भी प्रकार से अधिक समस्या हो रही हो तो वो स्वेक्छा से सेवनिबृति जा सके। 
  • अधिकारीयों को जवानो के साथ बैठकर बात करना तथा खेल में उनके साथ भागीदारी निभाना चाहिए।
  • जवानो कि तैनाती एक बार अधिक कठिन जगह के बाद दूसरी बार शांति वाले जगह पर होनी चाहिए ताकि जवान अपने परिवार के साथ भी अपना जीवन व्यतीत कर सके।
  • डिपार्टमेंट को भी जवानो के वर्क लाइफ बैलेंस को समझना चाहिए तथा उसको महत्व देना चाहिए।
  • पदोन्नति के पर्याप्त अवसर मुहैया होने चाहिए ताकि जवान मोटिवेटेड रहे।
  • सरकार को तथा डिपार्टमेंट को मिलकर ऐसा पालिसी बनाना चाहिए ताकि जवान अधिक से अधिक अपने परिवार के साथ रह सके।

अगर उपरोक्त तथ्यों पर डिपार्टमेंट और सरकार मिलकर कार्य करे तो अर्धसैनिक बलों में बढ़ रहे आत्महत्या के मामले को रोका जा सकता है। सोशल मीडिया के ज़माने में जवान अपने घर पर अधिक जुड़ा रहता है जिससे वो हर मिनट वो अपने घर को, अपने परिवार को, अपने बच्चे को महसूस करता है। 

Source- News18

 

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